
फिशर का आयुर्वेदिक इलाज: जड़ी-बूटियों से पाएं स्थायी राहत 2025 में, जानिए फिशर के आयुर्वेदिक इलाज, जड़ी-बूटियों और घरेलू नुस्खों से इसे कैसे ठीक करें। कब्ज से राहत पाने के लिए आयुर्वेदिक उपाय।
https://my.clevelandclinic.org/health/diseases/13177-anal-fissure
आजकल खानपान की गलत आदतों और अनियमित जीवनशैली के कारण गुदा विदर (Fissure) की समस्या आम हो गई है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें गुदा की त्वचा फट जाती है, जिससे मल त्यागते समय असहनीय दर्द और कभी-कभी खून भी आ सकता है। अगर सही समय पर इलाज न किया जाए तो यह समस्या पुरानी (Chronic Fissure) बन सकती है।
आयुर्वेद में इसे “परिकर्तिका” कहा गया है, और इसके इलाज के लिए कई प्रभावी जड़ी-बूटियों और घरेलू उपायों का उल्लेख मिलता है। इस लेख में हम फिशर के आयुर्वेदिक इलाज, इसके कारण, लक्षण, और बचाव के उपायों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
फिशर क्या होता है?
गुदा विदर (Anal Fissure) एक छोटा लेकिन गहरा कट या दरार होता है, जो गुदा नलिका के अंदर की कोमल त्वचा में हो जाता है। यह मल त्यागते समय दर्द, जलन और रक्तस्राव का कारण बनता है।
आयुर्वेद के अनुसार, फिशर वात और पित्त दोष के असंतुलन के कारण होता है। यह समस्या अधिकतर कब्ज, मसालेदार भोजन और अनियमित दिनचर्या के कारण होती है।
फिशर होने के कारण (Causes of Fissure in Ayurveda)
फिशर के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन मुख्य रूप से यह पाचन तंत्र की कमजोरी और गलत आदतों से जुड़ा होता है।
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- कब्ज (Constipation) – मुख्य कारण
कठोर और शुष्क मल निकालने के प्रयास से गुदा की त्वचा फट जाती है।
मल त्यागते समय अत्यधिक ज़ोर लगाने से यह समस्या और बढ़ सकती है।
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- मसालेदार और तला-भुना भोजन
बहुत अधिक मिर्च-मसाले और तली-भुनी चीज़ें पाचन तंत्र को प्रभावित करती हैं।
इससे आंतों में सूजन आ सकती है, जिससे फिशर की समस्या बढ़ सकती है।
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- बार-बार पतले दस्त (Diarrhea)
लंबे समय तक लूज़ मोशन होने से गुदा की त्वचा नाजुक हो जाती है।
इससे वहां दरारें पड़ने की संभावना बढ़ जाती है।
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- पानी की कमी (Dehydration)
शरीर में पानी की कमी से मल सख्त हो जाता है और इसे निकालना मुश्किल हो जाता है।
यह गुदा की त्वचा को नुकसान पहुंचा सकता है।
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- अधिक देर तक बैठना
खासतौर पर ऑफिस में लंबे समय तक एक ही पोजीशन में बैठने से गुदा क्षेत्र पर दबाव बढ़ता है।
यह रक्त संचार को प्रभावित करता है और फिशर का कारण बन सकता है।
फिशर के लक्षण (Symptoms of Anal Fissure)
अगर आपको नीचे दिए गए लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो यह फिशर हो सकता है:
मल त्यागते समय तेज दर्द या जलन।
मल में हल्का खून आना।
गुदा के आसपास सूजन या जलन।
शौच के बाद भी अधूरा महसूस होना।
लंबे समय तक बैठने में असहजता।
अगर ये लक्षण 6 हफ्तों से अधिक बने रहते हैं, तो यह क्रोनिक फिशर में बदल सकता है, जिसका इलाज अधिक समय ले सकता है।
फिशर का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic Treatment for Fissure)
आयुर्वेद में कई प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और घरेलू उपायों का वर्णन मिलता है, जो फिशर को जड़ से ठीक कर सकते हैं।
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- त्रिफला चूर्ण (Triphala Powder) – कब्ज का रामबाण इलाज
कैसे इस्तेमाल करें:
रोज़ रात को 1 चम्मच त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लें।
यह पेट साफ करने में मदद करता है और कब्ज से राहत दिलाता है।
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- जैतून और नारियल का तेल (Olive & Coconut Oil)
कैसे इस्तेमाल करें:
गुदा के कटे हुए हिस्से पर हल्के हाथों से नारियल या जैतून का तेल लगाएं।
यह प्राकृतिक मॉइस्चराइज़र की तरह काम करता है और घाव को जल्दी भरने में मदद करता है।
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- घी और मिश्री का मिश्रण
कैसे इस्तेमाल करें:
रोज़ सुबह 1 चम्मच घी और मिश्री का सेवन करें।
यह पेट को ठंडा रखता है और फिशर में राहत देता है।
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- अर्शकुटार रस – आयुर्वेदिक दवा
कैसे इस्तेमाल करें:
यह एक आयुर्वेदिक दवा है जो कब्ज और गुदा विदर में राहत देती है।
इसे दिन में 2 बार गर्म पानी के साथ लें।
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- हल्दी और एलोवेरा जेल (Turmeric & Aloe Vera Gel)
कैसे इस्तेमाल करें:
हल्दी में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो संक्रमण को रोकते हैं।
गुदा क्षेत्र पर एलोवेरा जेल और हल्दी का पेस्ट लगाने से फिशर जल्दी ठीक होता है।
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- शीतल स्नान (Sitz Bath)
कैसे करें:
गुनगुने पानी में नीम की पत्तियां डालकर 10-15 मिनट तक बैठें।
इससे जलन और दर्द में आराम मिलेगा।
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- आयुर्वेदिक हर्बल चाय (Herbal Tea for Digestion)
कैसे बनाएं:
1 कप गर्म पानी में सौंफ, अजवाइन और जीरा डालें।
इसे रोज़ सुबह पिएं।
यह पाचन सुधारता है और कब्ज को दूर रखता है।
फिशर का आयुर्वेदिक इलाज: जड़ी-बूटियों से पाएं स्थायी राहत 2025 में,
फिशर से बचने के उपाय (Prevention Tips)
पानी अधिक पिएं – रोज़ कम से कम 8-10 गिलास पानी जरूर लें।
फाइबर युक्त आहार – हरी सब्जियां, फल और साबुत अनाज खाएं।
तेल-मसाले कम करें – अधिक मिर्च और तला-भुना खाना न खाएं।
व्यायाम करें – हल्की एक्सरसाइज़ और योग करने से पाचन तंत्र मजबूत होता है।
बाथरूम में ज़ोर न लगाएं – जबरदस्ती मल त्यागने की कोशिश न करें।
ज्यादा देर तक न बैठें – हर घंटे थोड़ा टहलें या खड़े होकर काम करें।
निष्कर्ष (Conclusion)
गुदा विदर (Fissure) एक दर्दनाक समस्या हो सकती है, लेकिन सही खानपान, आयुर्वेदिक उपचार और नियमित दिनचर्या अपनाकर इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है। यदि समस्या अधिक दिनों तक बनी रहती है, तो किसी अच्छे आयुर्वेद विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें।
आयुर्वेद की मदद से बिना किसी सर्जरी के इस समस्या को जड़ से खत्म किया जा सकता है।
फिशर का आयुर्वेदिक इलाज: जड़ी-बूटियों से पाएं स्थायी राहत 2025 में,
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